भोपाल। आज, 14 अप्रैल 2025, को भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में डॉ. भीमराव अंबेडकर की 135वीं जयंती पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाई जा रही है। भारत के गांव-गांव से लेकर अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन के शहरों तक बाबा साहेब के विचारों की गूंज सुनाई दे रही है। सामाजिक न्याय, समानता और लोकतंत्र की नींव रखने वाले इस महापुरुष को आज न केवल भारत का, बल्कि दुनिया का विचारक माना जा रहा है।
न्यूयॉर्क में ऐतिहासिक घोषणा: 14 अप्रैल को ‘डॉ. बी.आर. अंबेडकर डे’ घोषित
इस वर्ष न्यूयॉर्क सिटी प्रशासन ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए 14 अप्रैल को आधिकारिक रूप से ‘डॉ. बी.आर. अंबेडकर डे’ घोषित किया। मेयर के कार्यालय से जारी एक बयान में अंबेडकर को “मानवाधिकारों के वैश्विक प्रतीक” की संज्ञा दी गई। यह पहली बार है जब अमेरिका के किसी बड़े शहर ने इस स्तर पर बाबा साहेब को सम्मानित किया है। इस घोषणा के साथ अंबेडकर के विचार अब अमेरिका की सामाजिक चेतना का भी हिस्सा बन गए हैं।
वैश्विक स्तर पर अंबेडकर को मिला सम्मान
डॉ. अंबेडकर की विरासत अब केवल भारतीय सीमाओं तक सीमित नहीं रही। हाल के वर्षों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उनके योगदान को सराहा गया है। कुछ प्रमुख उदाहरण:
- संयुक्त राष्ट्र ने उनकी 125वीं जयंती पर 156 देशों के प्रतिनिधियों के साथ उन्हें श्रद्धांजलि दी थी।
- कनाडा के ओंटारियो प्रांत के बर्लिंगटन शहर ने अप्रैल को ‘दलित इतिहास माह’ और 14 अप्रैल को ‘डॉ. बी.आर. अंबेडकर डे ऑफ इक्विटी’ के रूप में घोषित किया।
- अमेरिका के कोलोराडो राज्य में 14 अप्रैल को ‘डॉ. बी.आर. अंबेडकर इक्विटी डे’ मनाया जाता है।
- ब्रिटेन के लंदन में बाबा साहेब की प्रतिमा को कार्ल मार्क्स के साथ स्थापित किया गया है—यह उन्हें वैश्विक विचारकों की श्रेणी में रखता है।
भारत में श्रद्धांजलि और जनउत्सव का माहौल
भारत भर में अंबेडकर जयंती को बड़े उत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। राजधानी दिल्ली से लेकर महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और बिहार तक—बाबा साहेब को श्रद्धांजलि देने के लिए रैलियाँ, विचार गोष्ठियाँ, सांस्कृतिक कार्यक्रम, और पुष्पांजलि सभाएँ आयोजित की जा रही हैं।
देश के शीर्ष नेताओं ने भी डॉ. अंबेडकर को श्रद्धांजलि दी:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा—
“सभी देशवासियों की ओर से भारत रत्न पूज्य बाबासाहेब को उनकी जयंती पर कोटि-कोटि नमन। उनके सिद्धांत आत्मनिर्भर भारत को मजबूती देने वाले हैं।”राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा—
“बाबासाहेब ने विषम परिस्थितियों में असाधारण उपलब्धियों से विश्व में सम्मान अर्जित किया। शिक्षा को उन्होंने सामाजिक सशक्तिकरण का प्रमुख माध्यम माना। आइए, उनके जीवन से प्रेरणा लें।”
बाबा साहेब: एक जीवन नहीं, एक आंदोलन
डॉ. अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के मऊ में हुआ। एक दलित परिवार में जन्मे अंबेडकर ने जातिगत भेदभाव के बावजूद शिक्षा की ऊँचाइयों को छुआ। उन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से डॉक्टरेट की उपाधियाँ प्राप्त कीं।
वे केवल संविधान निर्माता नहीं थे, बल्कि दलितों, महिलाओं और श्रमिकों के लिए आजीवन संघर्षरत रहे। उन्होंने भारतीय रिज़र्व बैंक की परिकल्पना की, श्रमिक कानूनों में बदलाव किए और ‘हिंदू कोड बिल’ जैसे ऐतिहासिक सुधारों की नींव रखी।
उनकी कुछ प्रमुख कृतियाँ—
- Annihilation of Caste
- The Problem of the Rupee
- Who Were the Shudras?
- Thoughts on Linguistic States
अमर विचार, जो आज भी प्रासंगिक हैं
“राजनीति में भक्ति, या नायक पूजा, एक आपदा है।”
“जो जाति व्यवस्था को समाप्त नहीं कर सकता, वह सामाजिक समानता की बात नहीं कर सकता।”
“मैं उस धर्म को मानता हूँ जो स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व सिखाता है।”
“हमारे पास जो अधिकार हैं, उन्हें बनाए रखने के लिए संघर्ष जरूरी है।”
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