जबलपुर। मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले स्थित प्राचीन मौर्यकालीन बौद्ध मठ (मुड़िया बौद्ध मठ) तक जाने वाले मार्ग पर हुए अतिक्रमण को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है। कोर्ट ने कलेक्टर जबलपुर को निर्देश दिया है कि वे व्यक्तिगत रूप से उक्त बौद्ध मठ की निगरानी करते हुए, मठ से लगे 32 एकड़ शासकीय भूमि से अतिक्रमण हटवाएं।
यह आदेश बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया और अखिल भारतीय कुशवाहा महासभा द्वारा संयुक्त रूप से दाखिल की गई जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया। याचिका क्रमांक 15661/2025 की सुनवाई मुख्य न्यायमूर्ति श्री सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति श्री विवेक जैन की खंडपीठ ने की।
प्राचीन धरोहर के संरक्षण की उपेक्षा
लम्हेटाघाट, गोपालपुर के समीप स्थित इस बौद्ध मठ को मौर्यकालीन धरोहर माना जाता है, जिसकी ऐतिहासिकता हजारों वर्षों पुरानी बताई जाती है। मध्य प्रदेश शासन के पुरातत्व अभिलेखागार एवं संग्रहालय विभाग द्वारा दिनांक 15 जून 2012 को इसे “राज्य संरक्षित स्मारक” घोषित किया गया था। इसके बाद भी शासन द्वारा इसे संरक्षित करने हेतु कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। वर्ष 2021 में तत्कालीन कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड को इस स्थल के विकास के लिए ₹324 लाख की योजना प्रस्तावित की थी।
भूमाफियाओं ने रास्ता किया बंद
प्राप्त जानकारी के अनुसार, मठ से लगी 32 एकड़ शासकीय जमीन पर भूमाफियाओं ने अवैध कब्जा कर लिया है और मठ तक जाने का मार्ग बंद कर दिया है। इसको लेकर कई बार शासन और प्रशासन को पत्र लिखे गए और 26 अप्रैल 2025 को सिविक सेंटर में एक विशाल धरना प्रदर्शन भी हुआ, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
हाईकोर्ट का सख्त रुख
याचिका में उठाए गए मुद्दों को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश शासन के विभिन्न विभागों और निजी अतिक्रमणकारियों को नोटिस जारी किए हैं। नोटिस प्राप्त करने वालों में प्रमुख रूप से प्रमुख सचिव राजस्व, प्रमुख सचिव पुरातत्व, धार्मिक न्यास विभाग, पर्यटन एवं संस्कृति विभाग, कलेक्टर जबलपुर, एसडीओ (राजस्व), तहसीलदार, और भेड़ाघाट नगर पालिका अधिकारी के साथ-साथ निजी पक्षकार रीता सेंगर, गुंजन नंदा, सोनिया नारंग और आरडीएम केयर इंडिया प्रा. लि. शामिल हैं।
नोटिस के मुख्य बिंदु:
- सभी अनावेदकों को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के आदेश।
- कलेक्टर जबलपुर को मठ तक पहुंच मार्ग से अतिक्रमण तत्काल हटाने का आदेश।
- कलेक्टर को मठ की व्यक्तिगत निगरानी करने के निर्देश।
आगे की सुनवाई 16 जून को
कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 16 जून 2025 को नियत की है। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक प्रसाद शाह, शिवांशु कोल, देवयानी चौधरी और संतोष आनंद ने पक्ष रखा।
प्राचीन स्मारक संरक्षण कानून के तहत मामला
यह मामला प्राचीन स्मारक एवं पुरातात्विक स्थल और अवशेष अधिनियम 1964 की धारा 3(1) के अंतर्गत आता है, जिसके तहत राज्य सरकार को ऐसे स्थलों की रक्षा करना अनिवार्य होता है। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि सरकार ने इस कर्तव्य की अनदेखी की है।
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