भरतपुर में 10 साल की मासूम से चचेरे भाई ने किया दुष्कर्म: बच्ची के शरीर पर मिले दांतों के निशान, मां की शिकायत पर FIR दर्ज

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नई-दिल्ली। राजस्थान के भरतपुर जिले से एक शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है, जहां 10 साल की मासूम बच्ची के साथ उसके ही 19 वर्षीय चचेरे भाई ने बार-बार दुष्कर्म किया। यह मामला तब सामने आया जब बच्ची की मां ने उसकी देह पर दांतों के निशान देखे और सच्चाई जानने के बाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।

यह घटना भरतपुर के मथुरा गेट थाना क्षेत्र की है। पीड़िता की मां ने बताया कि उनकी बेटी छठवीं कक्षा की छात्रा है और बीते कुछ समय से उसका ताऊ का बेटा उसके साथ गलत हरकतें कर रहा था। आरोपी जब भी जयपुर से भरतपुर आता, बच्ची को डरा-धमका कर उसके साथ दुष्कर्म करता।

परिजनों ने दिया आरोपी को संरक्षण

मां के अनुसार, जब उसने बच्ची के शरीर पर दांतों के कई निशान देखे और इस बारे में आरोपी के माता-पिता, दादा-दादी को बताया, तो उन्होंने कार्रवाई करने की बजाय उल्टा उन्हें ही अपमानित किया। पीड़िता की मां का कहना है कि आरोपी के परिजन उसकी हरकतों को जानते थे, फिर भी चुप रहे और उसे संरक्षण देते रहे।

पीड़िता की मां ने बताया, “मेरे जेठ का लड़का जब भी भरतपुर आता, मेरी बेटी के साथ दुष्कर्म करता। मेरी सास, ससुर, जेठ और जेठानी सबको इसकी जानकारी थी। फिर भी वे चुप रहे और उल्टा मेरी बेइज्जती की।”

दिसंबर 2024 में हुई थी अंतिम घटना

FIR के मुताबिक, आरोपी द्वारा मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म की आखिरी घटना दिसंबर 2024 में हुई थी। इसके बाद जब परिजनों ने कोई कदम नहीं उठाया, तो मजबूर होकर मां ने शुक्रवार की रात मथुरा गेट थाने में एफआईआर दर्ज करवाई। पुलिस ने शिकायत के आधार पर कार्रवाई शुरू कर दी है और आरोपी की तलाश की जा रही है।


पॉक्सो एक्ट और IPC की धाराओं में मामला दर्ज

पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए आरोपी के खिलाफ पॉक्सो एक्ट (Protection of Children from Sexual Offences Act) और भारतीय दंड संहिता (IPC) की संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है।

सजा का प्रावधान (पॉक्सो एक्ट के तहत):

  • धारा 3/4 (बलात्कार): कम से कम 20 साल की सजा, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है।
  • यदि अपराध बार-बार किया गया हो, तो फांसी तक का प्रावधान भी हो सकता है।

बच्ची की मेडिकल जांच और काउंसलिंग जारी

पुलिस सूत्रों के अनुसार, पीड़िता की मेडिकल जांच कराई जा चुकी है और उसे मनोवैज्ञानिक सहायता (काउंसलिंग) दी जा रही है, ताकि वह इस मानसिक आघात से उबर सके। प्रशासन ने आरोपी की गिरफ्तारी के प्रयास तेज कर दिए हैं।


सवालों के घेरे में परिजनों की चुप्पी

इस घटना ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं कि जब परिवार के भीतर ही ऐसा अपराध होता है, तब बच्ची की सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा? क्यों आरोपी के परिजनों ने कार्रवाई की बजाय उसे संरक्षण दिया? क्यों महिला की शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया गया?


समाज और कानून को देना होगा जवाब

यह मामला सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे समाज की आंखें खोलने वाला है। जब नाबालिग बच्चियों के साथ इस तरह की घटनाएं परिवार के भीतर होती हैं, तो चुप्पी अपराध से कम नहीं होती। अब जरूरत है कि समाज संवेदनशील बने और ऐसे मामलों में कानून सख्ती से अपना काम करे।


(यदि आपके आसपास भी कोई बच्चा यौन हिंसा का शिकार हो रहा हो, तो तुरंत पुलिस या चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 पर संपर्क करें।)


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