नई-दिल्ली। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले समेत मालदा, हुगली और उत्तर 24 परगना में वक्फ कानून में प्रस्तावित बदलावों के विरोध में प्रदर्शन ने उग्र रूप ले लिया है। शनिवार को हुए हिंसक प्रदर्शनों में अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें एक मूर्तिकार पिता-पुत्र की निर्मम हत्या भी शामिल है। हिंसा में 15 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए हैं और अब तक 138 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया है। राज्य सरकार ने हालात पर काबू पाने के लिए 1600 केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती की है, जिनमें करीब 300 BSF जवान शामिल हैं। हिंसा प्रभावित इलाकों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं और धारा 144 लागू कर दी गई है।
क्यों भड़की हिंसा?
10-11 अप्रैल से शुरू हुए विरोध की जड़ें केंद्र सरकार द्वारा वक्फ कानून में किए जाने वाले प्रस्तावित संशोधनों से जुड़ी हैं। इस कानून के तहत वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को लेकर बदलाव प्रस्तावित किए गए हैं, जिसे लेकर मुस्लिम समुदाय के कुछ वर्गों में गहरा असंतोष व्याप्त है। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि यह कानून उनके धार्मिक अधिकारों पर चोट करता है और वक्फ संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ाने की कोशिश है।
मुर्शिदाबाद में यह विरोध उस समय हिंसक हो गया जब प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने मूर्तिकार हरगोविंद दास और उनके बेटे चंदन दास की पीट-पीटकर हत्या कर दी। घटना के दौरान गोली लगने से घायल एक और युवक ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
प्रशासन की सख्त कार्रवाई
स्थिति को संभालने के लिए प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए हिंसा प्रभावित इलाकों में निम्नलिखित कदम उठाए:
- 1600 जवान तैनात: केंद्र सरकार ने 21 कंपनियों के माध्यम से 1600 जवान पश्चिम बंगाल भेजे हैं, जिनमें BSF के 300 जवान भी शामिल हैं।
- इंटरनेट सेवाएं बंद: अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए इन जिलों में इंटरनेट सेवाएं अस्थायी रूप से बंद कर दी गई हैं।
- धारा 144 लागू: सार्वजनिक स्थानों पर भीड़ इकट्ठा होने से रोकने के लिए धारा 144 लागू की गई है।
- केंद्रीय गृह सचिव की बैठक: केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने बंगाल के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग की और कानून व्यवस्था बहाल करने के निर्देश दिए।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जनता से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए स्पष्ट किया कि पश्चिम बंगाल में वक्फ कानून लागू नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राजनीतिक उद्देश्य से हिंसा भड़काने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा—
“राज्य में किसी भी तरह की धार्मिक या राजनीतिक हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सभी नागरिकों से अनुरोध है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और कानून-व्यवस्था में सहयोग करें।”
मामले की जांच और न्यायिक हस्तक्षेप
घटना की गंभीरता को देखते हुए कई संगठनों और नेताओं ने मामले की NIA (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) से जांच की मांग की है। वहीं कलकत्ता हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से हिंसा की विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।
क्या है वक्फ कानून विवाद?
वक्फ अधिनियम, 1995 के अंतर्गत मुस्लिम समुदाय की धार्मिक संपत्तियों का संरक्षण और प्रबंधन किया जाता है। प्रस्तावित बदलावों में कुछ ऐसे प्रावधान शामिल किए गए हैं, जिन्हें लेकर यह आशंका है कि इससे वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता घटेगी और सरकारी हस्तक्षेप बढ़ेगा।
कुछ संगठनों का मानना है कि यह कानून समुदाय की धार्मिक संपत्तियों को असुरक्षित बना सकता है।
पीड़ितों को न्याय मिले
हरगोविंद दास और उनके पुत्र की हत्या ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है। स्थानीय निवासियों और सामाजिक संगठनों ने सरकार से मांग की है कि दोषियों को सख्त सजा दी जाए और पीड़ित परिवार को सुरक्षा व मुआवजा दिया जाए।
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