भोपाल। मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल मंडला जिले में पुलिस की नक्सल विरोधी ‘हॉक फोर्स’ और कथित नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में हिरन बैगा नामक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि दो अन्य को गिरफ्तार किया गया। पुलिस का दावा है कि मारा गया व्यक्ति नक्सली था, लेकिन आदिवासी संगठनों ने इसे फर्जी मुठभेड़ करार देते हुए विरोध जताया है। इस घटना के बाद क्षेत्र में भारी आक्रोश फैल गया है, और संगठनों ने इस मामले की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की मांग की है।
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (गोंगपा) और अन्य आदिवासी संगठनों ने इसे पुलिस की सुनियोजित साजिश बताते हुए दोषी अधिकारियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने की मांग की है। आदिवासी एक्टिविस्ट सुनील आदिवासी ने कहा कि सरकार आदिवासियों को निशाना बना रही है और बिना ठोस सबूतों के उन्हें नक्सली बताकर मारा जा रहा है। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की चुप्पी पर भी सवाल उठाया।
आदिवासी संगठनों ने इस मामले में हाई कोर्ट के मौजूदा जज से न्यायिक जांच कराने, दोषी पुलिसकर्मियों पर हत्या का केस दर्ज करने, मृतक के परिवार को एक करोड़ रुपये मुआवजा और सरकारी नौकरी देने की मांग की है। साथ ही, उन्होंने जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को हटाने की भी मांग की। संगठन इस मुद्दे को लेकर उच्च न्यायालय जाने की तैयारी कर रहे हैं।
मध्यप्रदेश में पहले भी आदिवासी मुठभेड़ों पर सवाल उठते रहे हैं, जहां पुलिस द्वारा मारे गए लोगों को नक्सली बताया गया, लेकिन बाद में दावे संदिग्ध पाए गए। आदिवासी समाज का आरोप है कि विशेष पिछड़ी जनजातियों, खासकर बैगा, भरिया और सहरिया समुदाय के लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। ऐसे में यह मामला प्रदेश सरकार के लिए नई चुनौती बन सकता है।
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