भोपाल। मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले के वल्देवगढ़ तहसील में तहसीलदार पर गंभीर आरोप लगे हैं। तहसीलदार अरविंद्र यादव पर दलित समाज के दो व्यक्तियों के साथ न्यायालय कक्ष में कतिथ जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल कर अपमानित करने, मारपीट करने और पुलिस की मदद से उन्हें धमकाने का आरोप है। इस घटना से आक्रोशित पीड़ितों ने पुलिस अधीक्षक को लिखित शिकायत देकर तहसीलदार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है।
क्या है पूरा मामला?
टीकमगढ़ जिले के ग्राम लुहर्रा निवासी रमेश वंशकार और रज्जू उर्फ राजाराम वंशकार, जो कि दलित समुदाय से आते हैं, अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए कृषि कार्य करते हैं। इनके पास मात्र दो एकड़ कृषि भूमि है, जिस पर ग्राम के ठाकुर समाज के कुछ प्रभावशाली लोगों द्वारा विवाद किया जा रहा है। यह विवाद न्यायालय में लंबित है और तहसीलदार वल्देवगढ़ के न्यायालय में इसकी सुनवाई चल रही है।
पीड़ितों के अनुसार, 6 मार्च 2025 को इस भूमि विवाद की सुनवाई तहसीलदार अरविंद्र यादव की अदालत में हो रही थी। सुनवाई के दौरान शाम 6 बजे के करीब, जब विरोधी पक्ष के गवाह की गवाही हो रही थी, तभी रमेश वंशकार ने उस पर आपत्ति जताई। इस पर तहसीलदार अरविंद्र यादव आगबबूला हो गए और उन्होंने जातिसूचक गालियां देते हुए रमेश वंशकार को अपमानित करना शुरू कर दिया। इसके बाद तहसीलदार ने अपनी कुर्सी से उठकर सीधे रमेश वंशकार के पास जाकर उसे थप्पड़ मार दिया।
जब रज्जू वंशकार ने रमेश को बचाने की कोशिश की और तहसीलदार से शांति बनाए रखने की अपील की, तो तहसीलदार ने उन्हें भी धक्का दे दिया। इस दौरान न्यायालय कक्ष में उपस्थित अन्य लोग भी यह दृश्य देख रहे थे, लेकिन तहसीलदार के गुस्से के कारण कोई हस्तक्षेप करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया।
पुलिस पर भी गंभीर आरोप
पीड़ितों के अनुसार, तहसीलदार ने स्थिति बिगड़ती देख न्यायालय परिसर में ही पुलिस को बुला लिया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर रमेश वंशकार और रज्जू वंशकार को हिरासत में लेकर थाना बल्देवगढ़ ले गई। पीड़ितों का आरोप है कि उन्हें रात 7 बजे तक थाने में बैठाकर रखा गया और जब उन्होंने अपनी शिकायत दर्ज कराने की मांग की, तो पुलिस ने उन्हें शांत रहने और कोई शिकायत न करने की सलाह दी।
पीड़ितों का यह भी आरोप है कि पुलिस ने उन्हें यह कहते हुए डराने की कोशिश की कि तहसीलदार एक उच्च अधिकारी हैं और उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो सकती। पुलिस ने यह भी कहा कि यदि उन्होंने ज्यादा विरोध किया, तो उनके चल रहे भूमि विवाद के मामले में उनके खिलाफ ही फैसला आ सकता है।
सीसीटीवी फुटेज से जांच की मांग
रमेश वंशकार और रज्जू वंशकार ने अपनी शिकायत में इस पूरी घटना की जांच के लिए तहसील कार्यालय में लगे सीसीटीवी फुटेज की जांच कराने की मांग की है। उनका कहना है कि फुटेज से साफ हो जाएगा कि तहसीलदार ने न्यायालय में खुलेआम गाली-गलौज और मारपीट की।
पीड़ितों ने मांग की है कि इस घटना के लिए जिम्मेदार तहसीलदार के खिलाफ अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (SC/ST एक्ट) के तहत मामला दर्ज किया जाए और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।
रमेश वंशकार ने द मूकनायक से बातचीत करते हुए कहा, “हम एक कानूनी मामले की सुनवाई के लिए न्यायालय गए थे, लेकिन वहां खुद तहसीलदार ने हमारे साथ अन्याय कर दिया। उन्होंने न केवल जातिसूचक शब्दों से अपमानित किया बल्कि थप्पड़ मारकर शारीरिक रूप से भी प्रताड़ित किया। जब हमने विरोध किया, तो पुलिस बुलाकर हमें ही धमकाया गया। यह कैसा न्याय है?” रमेश का कहना है कि तहसीलदार जैसे उच्च पद पर बैठे व्यक्ति से इस तरह के व्यवहार की उम्मीद नहीं थी।
रमेश ने आगे बताया कि पुलिस ने भी न्याय दिलाने के बजाय दबाव बनाने का काम किया। उन्होंने कहा, “थाने में हमें घंटों बैठाकर रखा गया और रिपोर्ट दर्ज कराने की कोशिश करने पर कहा गया कि तहसीलदार बड़े आदमी हैं, उनके खिलाफ कुछ नहीं हो सकता।” रमेश का कहना है कि अगर इस मामले में उचित कार्रवाई नहीं हुई, तो वे उच्च अधिकारियों से गुहार लगाएंगे और जरूरत पड़ने पर दलित संगठनों की मदद से बड़ा आंदोलन भी करेंगे।
क्या कहते हैं कानूनी प्रावधान?
तहसीलदार पर अनुसूचित जाति समुदाय के व्यक्ति के साथ जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल कर अपमानित करने और मारपीट करने का आरोप लगा है। ऐसे मामलों में SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत कड़ी सजा का प्रावधान है।
पीड़ितों की मांग
पीड़ितों ने पुलिस अधीक्षक से अनुरोध किया है कि तहसीलदार अरविंद्र यादव के खिलाफ SC/ST एक्ट एवं भारतीय न्याय संहिता (BNS) की संगत धाराओं में मामला दर्ज किया जाए और उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।
घटना के सामने आने के बाद दलित संगठनों में आक्रोश फैल गया है। विभिन्न संगठनों ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। वंशकार समाज के प्रदेश अध्यक्ष मुकेश बंशल ने द मूकनायक से बातचीत में कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय घटना है, जो समाज में व्याप्त भेदभाव और अन्याय को दर्शाती है। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि जल्द से जल्द आरोपी तहसीलदार को गिरफ्तार कर सख्त सजा दी जाए।
इस मामले पर प्रशासन की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं मिली है। हमने तहसीलदार अरविंद यादव से संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन उनसे बातचीत नहीं हो सकी।
साभार:- द मूकनायक हिंदी न्यूज वेबसाइट
Leave a Reply