इंदौर जिला कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: गर्भ में पल रहे शिशु को भी माना पिता पर आश्रित, सड़क दुर्घटना में मृतकों के परिवारों को मिला मुआवज

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भोपाल। इंदौर जिला कोर्ट ने सड़क दुर्घटना में मृतकों के परिवारों को मुआवजा देने के मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। वर्ष 2020 में हुए एक सड़क हादसे में मारे गए दो बाइक सवारों के परिवारों को क्रमशः 25 लाख और 16 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया गया। खास बात यह रही कि कोर्ट ने मृतक की गर्भवती पत्नी के गर्भस्थ शिशु को भी जीवित मानते हुए आश्रित माना और मुआवजे में शामिल किया।

यह दुर्घटना 17 मार्च 2020 को इंदौर-खंडवा रोड पर हुई थी, जब तेज गति से आ रहे एक ट्रक ने दो बाइकों को टक्कर मार दी। इस हादसे में गंभीर रूप से घायल निर्मल और राज को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान दोनों की मौत हो गई। जबकि उनके दो अन्य साथी घायल हुए थे। कोरोना महामारी के कारण केस दर्ज करने में देरी हुई, और फरवरी 2021 में मृतकों के परिवारों ने मुआवजे के लिए जिला कोर्ट में याचिका दायर की।

चार साल तक चली सुनवाई के बाद 28 फरवरी 2025 को कोर्ट ने फैसला सुनाया, जिसमें ट्रक मालिक और बीमा कंपनी को कुल 51 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया गया। इसमें मृतक निर्मल के परिवार को 25 लाख रुपये, मृतक राज सोलंकी के परिवार को 16 लाख रुपये और दुर्घटना में घायल हुए रोहित व राहुल को 10 लाख रुपये देने का निर्देश दिया गया।

कोर्ट के इस फैसले का सबसे अहम पहलू यह था कि मृतक निर्मल की पत्नी के गर्भस्थ शिशु को भी आश्रित माना गया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि गर्भ में पल रहा शिशु भी जीवित माना जाएगा और उसे मृतक के आश्रितों में गिना जाएगा। यह निर्णय सड़क दुर्घटना मामलों में न्याय की नई मिसाल बन सकता है।

मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 166 के तहत सड़क दुर्घटना में मृतक के आश्रित मुआवजे का दावा कर सकते हैं। कोर्ट के इस फैसले से उन परिवारों को राहत मिली है, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया था। खासतौर पर गर्भस्थ शिशु को आश्रित मानने का निर्णय संवेदनशीलता और न्यायप्रियता की मिसाल पेश करता है।


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