मध्यप्रदेश विधानसभा में हंगामा: कांग्रेस ने बजट को बताया ‘झूठ का पुलिंदा’, किया वॉकआउट

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सरकार ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह बजट प्रदेश के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है।

भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के तीसरे दिन सदन में जबरदस्त हंगामा हुआ। वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने जैसे ही वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट पेश करना शुरू किया, कांग्रेस विधायकों ने इस पर आपत्ति जताई और इसे “झूठ का पुलिंदा” करार दिया। कांग्रेस का आरोप है कि यह बजट आम जनता, किसानों, आदिवासियों, दलितों और युवाओं की जरूरतों को पूरा करने में पूरी तरह विफल है। भारी विरोध के बाद कांग्रेस ने सदन से वॉकआउट कर दिया।

उप मुख्यमंत्री (वित्त विभाग) जगदीश देवड़ा ने विधानसभा में 4 लाख 21 हजार 32 करोड़ रुपए का बजट पेश किया। उन्होंने कहा कि इस बजट में कोई नया टैक्स नहीं लगाया गया है और इसे ‘जीरो वेस्ट बेस्ड प्रक्रिया’ से तैयार किया गया है। सरकार ने इसे प्रदेश के समग्र विकास और आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। बजट में प्रदेश में 39 नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने, 3 लाख से अधिक रोजगार के अवसर सृजित करने, 11 नए आयुर्वेदिक कॉलेज खोलने, 22 नए आईटीआई संस्थानों की स्थापना और 2000 करोड़ रुपए के सिंहस्थ बजट की व्यवस्था की गई है। सरकार ने दावा किया कि यह बजट प्रदेश के आर्थिक और सामाजिक विकास को गति देगा, लेकिन विपक्ष ने इसे पूरी तरह से खारिज कर दिया।

जैसे ही वित्त मंत्री ने बजट भाषण पढ़ना शुरू किया, कांग्रेस विधायकों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि यह बजट सिर्फ और सिर्फ झूठे वादों का पुलिंदा है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश में बेरोजगारी चरम पर है, आदिवासी छात्रवृत्ति योजना में अनियमितताएं हैं, किसान आत्महत्या कर रहे हैं और सरकार सिर्फ दिखावटी योजनाएं बना रही है। उन्होंने यह भी कहा कि आदिवासी समुदाय के लिए बजट में कोई ठोस प्रावधान नहीं किया गया है और एससी-एसटी छात्रों को छात्रवृत्ति नहीं मिल रही, जिससे वे उच्च शिक्षा से वंचित हो रहे हैं।

बजट भाषण के बीच कांग्रेस विधायकों ने उठाए सवाल।

बजट भाषण के दौरान कांग्रेस विधायकों ने बार-बार सरकार से तीखे सवाल किए। उन्होंने पूछा कि युवाओं के लिए नए रोजगार कहां हैं, आदिवासी और दलित समुदायों के लिए विशेष योजनाएं क्यों नहीं हैं, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के सुधार के लिए कोई ठोस नीति क्यों नहीं बनाई गई, और बेरोजगारी दूर करने के लिए सरकार की कोई ठोस योजना क्यों नहीं है। जब वित्त मंत्री ने इन सवालों के स्पष्ट जवाब नहीं दिए, तो कांग्रेस विधायकों ने नारेबाजी की और वॉकआउट कर दिया।

विधानसभा परिसर के बाहर मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस नेता उमंग सिंघार ने कहा कि यह बजट कागजी वादों का पुलिंदा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार नई योजनाओं के नाम पर सिर्फ भ्रष्टाचार कर रही है और जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं हो रहा। उन्होंने कहा कि आदिवासी और दलित समुदायों को योजनाओं के नाम पर गुमराह किया जा रहा है, लेकिन वास्तव में उनके लिए कुछ भी नहीं किया जा रहा।

सरकार ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह बजट प्रदेश के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। सरकार ने कांग्रेस के वॉकआउट को “राजनीतिक स्टंट” बताते हुए कहा कि कांग्रेस बिना किसी ठोस आधार के विरोध कर रही है। सरकार ने दावा किया कि उसने सभी वर्गों के लिए योजनाएं बनाई हैं और यह बजट प्रदेश की जनता की आवश्यकताओं को पूरा करेगा।


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