दिल्ली साइबर सेल और शिक्षा बोर्ड की संयुक्त कार्रवाई में मिली सफलता
नई दिल्ली। बोर्ड परीक्षाओं में धांधली को अंजाम देने वाले एक बड़े साइबर क्राइम गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है। इस गैंग पर आरोप है कि यह 10वीं और 12वीं कक्षा के प्रश्नपत्र लीक कर छात्रों तक पहुंचा रहा था। गिरोह Telegram जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग कर मोटी रकम वसूलता था। दिल्ली पुलिस की साइबर सेल और शिक्षा बोर्ड की संयुक्त कार्रवाई में इस गिरोह से जुड़े कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
ऐसे होता था पेपर लीक का खेल
पुलिस के मुताबिक, यह गिरोह परीक्षा शुरू होने से कुछ घंटे पहले ही प्रश्नपत्रों को Telegram चैनलों पर साझा कर देता था। ये चैनल फर्जी आईडी और नकली नामों के ज़रिए बनाए गए थे। इन चैनलों के ज़रिए छात्रों और कोचिंग सेंटरों से संपर्क कर पेपर की ‘प्रीलिमिनरी कॉपी’ भेजी जाती थी। इसके बदले में छात्रों से 5,000 रुपये से लेकर 20,000 रुपये तक वसूले जाते थे।
सोशल मीडिया बना अपराध का माध्यम
Telegram, जो कि एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन के लिए जाना जाता है, इन अपराधियों के लिए एक सुरक्षित मंच बन गया था। आरोपी मोबाइल नंबर छिपाकर वर्चुअल नंबरों और फर्जी दस्तावेज़ों की मदद से अकाउंट बनाते थे, जिससे उनकी पहचान छिपी रहती थी। पुलिस ने ऐसे कई Telegram चैनलों को बंद करवा दिया है।
जब्त किया गया सामान
कार्रवाई के दौरान पुलिस ने आरोपियों के पास से कई मोबाइल फोन, लैपटॉप, फर्जी आधार कार्ड, सिम कार्ड, और बैंक अकाउंट की जानकारी जब्त की है। इनमें से कुछ अकाउंट फर्जी कंपनियों के नाम पर खोले गए थे, जिनके माध्यम से पेमेंट वसूली जाती थी।
पुलिस का बयान
दिल्ली साइबर सेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “यह संगठित साइबर अपराध का उदाहरण है, जहां तकनीक का दुरुपयोग कर शैक्षणिक प्रणाली की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाया गया। हमारी टीम ने तकनीकी विश्लेषण और डिजिटल ट्रेसिंग के ज़रिए आरोपियों तक पहुंच बनाई।”
शिक्षा बोर्ड भी हरकत में
इस खुलासे के बाद शिक्षा बोर्ड ने भी जांच का दायरा बढ़ा दिया है। बोर्ड ने संकेत दिए हैं कि भविष्य में परीक्षा प्रणाली को और अधिक सुरक्षित और डिजिटल फ्रेंडली बनाने पर काम किया जाएगा ताकि ऐसे अपराधों पर अंकुश लगाया जा सके।
छात्रों और अभिभावकों के लिए चेतावनी
पुलिस और शिक्षा विभाग ने छात्रों और अभिभावकों से अपील की है कि वे ऐसे किसी भी चैनल या ग्रुप का हिस्सा न बनें जो परीक्षा से पहले पेपर देने का दावा करता है। ऐसा करना न सिर्फ गैरकानूनी है, बल्कि छात्रों के भविष्य को भी खतरे में डाल सकता है।
यह मामला एक बार फिर से दर्शाता है कि कैसे तकनीक का दुरुपयोग कर कुछ लोग शिक्षा व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं। पुलिस और प्रशासन की सतर्कता ने इस बार एक बड़ी साजिश को बेनकाब कर दिया है, लेकिन यह भी ज़रूरी है कि समाज मिलकर ऐसे प्रयासों को रोकने के लिए सजग और सतर्क रहे।
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