भीषण गर्मी से बढ़ा हीट स्ट्रोक का खतरा: अब तक 360 मौतें, 40 हजार से ज्यादा मामले

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भोपाल। भारत में इस साल गर्मी ने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। यूनियन मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर के मुताबिक, साल 2024 में अब तक हीट स्ट्रोक यानी लू से 360 लोगों की मौत हो चुकी है और 40,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। वहीं भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने चेतावनी दी है कि अगले 10 दिन देश में भीषण गर्मी पड़ सकती है, जिससे लोगों की मुश्किलें और बढ़ेंगी।

मध्य प्रदेश के रतलाम, नर्मदापुरम और उज्जैन समेत 20 से ज्यादा शहरों में तापमान 42 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया है। कई शहरों में तापमान 40 डिग्री से ऊपर बना हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि तापमान जैसे-जैसे बढ़ता है, वैसे-वैसे हीट स्ट्रोक का खतरा भी गंभीर होता जाता है। यह एक मेडिकल इमरजेंसी होती है, जिसमें व्यक्ति की जान भी जा सकती है।

क्या है हीट स्ट्रोक?

हीट स्ट्रोक तब होता है जब शरीर का तापमान 104 डिग्री फारेनहाइट (40 डिग्री सेल्सियस) से ऊपर पहुंच जाता है और शरीर खुद को ठंडा नहीं कर पाता। इसका असर शरीर के ब्लड फ्लो पर पड़ता है और इसके कारण हार्ट, किडनी, लिवर, ब्रेन जैसे महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुंच सकता है।

हीट स्ट्रोक के लक्षण

  • शरीर का तापमान 104 डिग्री फारेनहाइट से अधिक होना
  • अत्यधिक पसीना आना या कुछ मामलों में पसीना बिल्कुल बंद हो जाना
  • उल्टी या मिचली आना
  • चक्कर, कमजोरी और बेहोशी
  • तेज़ धड़कन और सांस लेने में तकलीफ
  • भ्रम या मानसिक अस्थिरता
  • देखने में परेशानी (ब्लर विजन)

हीट स्ट्रोक के खतरे

हीट स्ट्रोक सिर्फ असहजता नहीं है, यह गंभीर जानलेवा स्थिति है। इससे हो सकती हैं ये समस्याएं:

• अंगों को नुकसान:
हीट स्ट्रोक से दिल, किडनी और लिवर जैसे महत्वपूर्ण अंग प्रभावित हो सकते हैं।

• ब्रेन डैमेज:
लंबे समय तक अत्यधिक गर्मी में रहने से मस्तिष्क में सूजन और भ्रम जैसी समस्याएं हो सकती हैं, जिससे याददाश्त कमजोर पड़ सकती है।

• किडनी फेलियर:
शरीर का अत्यधिक तापमान किडनी को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है।

• सांस लेने में परेशानी और शारीरिक श्रम करने में कठिनाई:
खासतौर पर दिहाड़ी मजदूरों और फील्ड में काम करने वालों को इसका सीधा असर झेलना पड़ता है।

हीट स्ट्रोक होने पर क्या करें?

हीट स्ट्रोक की स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। साथ ही कुछ प्राथमिक उपचार तुरंत करना जरूरी है:

  • व्यक्ति को छांव या ठंडी जगह पर ले जाएं
  • ढीले और हल्के कपड़े पहनाएं
  • शरीर पर ठंडा पानी डालें या गीला तौलिया रखें
  • जितना हो सके शरीर का तापमान जल्दी से कम करने की कोशिश करें
  • एंबुलेंस बुलाएं या नजदीकी अस्पताल ले जाएं

बचाव ही सबसे बेहतर उपाय

विशेषज्ञों के अनुसार हीट स्ट्रोक से बचने के लिए सावधानी ही सबसे कारगर तरीका है।

क्या करें:

  • घर और कार्यस्थल को ठंडा रखें
  • खूब पानी पिएं, ओआरएस या नींबू पानी जैसे इलेक्ट्रोलाइट्स का सेवन करें
  • दिन के सबसे गर्म समय (दोपहर 12 से 4 बजे) में बाहर निकलने से बचें
  • हल्के रंग के सूती कपड़े पहनें
  • व्यायाम या भारी काम सुबह या शाम को करें जब तापमान कम हो

खास सावधानी बुजुर्गों, बच्चों और मजदूरों के लिए

बुजुर्ग, बच्चे, गर्भवती महिलाएं और दिहाड़ी मजदूर सबसे ज्यादा जोखिम में रहते हैं। उनके लिए विशेष सावधानी जरूरी है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को अलर्ट जारी किया है और अस्पतालों में हीट स्ट्रोक से निपटने के लिए विशेष इंतज़ाम करने के निर्देश दिए हैं।

गर्मी अब केवल मौसम की बात नहीं रह गई है, यह एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बन चुकी है। ऐसे में हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह खुद भी सुरक्षित रहे और दूसरों को भी सचेत करे। याद रखें—हीट स्ट्रोक एक इमरजेंसी है, इसे नजरअंदाज करना जानलेवा साबित हो सकता है।

हीट स्ट्रोक से जुड़ी कानूनी और स्वास्थ्य दिशा-निर्देश:

• आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत राज्य सरकारें हीट वेव को “प्राकृतिक आपदा” घोषित कर सकती हैं।
• स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुसार, स्थानीय प्रशासन को अलर्ट जारी करना और सार्वजनिक जगहों पर पानी व छांव की व्यवस्था करना अनिवार्य है।
• किसी भी कार्यस्थल पर अत्यधिक तापमान में मजदूरों से काम कराना मानवाधिकार उल्लंघन की श्रेणी में आ सकता है।

 


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