भोपाल। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने असिस्टेंट प्रोफेसर और खेल अधिकारी भर्ती परीक्षा में अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग के उम्मीदवारों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने अंतरिम आदेश में कहा कि इन अभ्यर्थियों को पांच वर्ष की अतिरिक्त आयु सीमा छूट दी जाए। यह आदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक अग्रवाल की खंडपीठ ने दिया। हालांकि, भर्ती प्रक्रिया की अंतिम वैधता कोर्ट में लंबित याचिका के निर्णय पर निर्भर करेगी।
क्या था मामला?
दमोह निवासी छोटे लाल अहिरवार समेत अन्य अभ्यर्थियों ने मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) द्वारा आयोजित असिस्टेंट प्रोफेसर और खेल अधिकारी भर्ती परीक्षा में आयु सीमा छूट को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता संजीव कुमार सिंह ने तर्क दिया कि अतिथि विद्वानों को अधिकतम 45 वर्ष तक आवेदन की छूट दी गई थी, लेकिन इसमें एससी-एसटी वर्ग के लिए दी जाने वाली संवैधानिक अतिरिक्त पांच साल की छूट को शामिल नहीं किया गया था।
हाईकोर्ट का आदेश और संभावित असर
कोर्ट ने अभ्यर्थियों की दलीलों को सुनने के बाद एससी-एसटी वर्ग के अतिथि विद्वानों को 50 वर्ष की अधिकतम आयु तक आवेदन करने की अनुमति दी। इस फैसले से बड़ी संख्या में ऐसे अभ्यर्थियों को लाभ मिलेगा जो अधिकतम उम्र सीमा के कारण आवेदन से वंचित हो रहे थे। साथ ही, एमपी-पीएससी को अब भर्ती प्रक्रिया में संशोधन करना पड़ सकता है।
संवैधानिक आधार
संवैधानिक विशेषज्ञों का कहना है कि अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग को दी जाने वाली आयु छूट भारतीय संविधान के अनुच्छेद 16(4) और 46 में निहित सामाजिक न्याय के सिद्धांतों पर आधारित है। हाईकोर्ट के इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि यदि सरकार किसी विशेष वर्ग के लिए आयु छूट का प्रावधान करती है, तो उसमें एससी-एसटी वर्ग को उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता।
भविष्य की संभावनाएं
इस आदेश का असर अन्य सरकारी भर्तियों पर भी पड़ सकता है, जहां एससी-एसटी अभ्यर्थियों के लिए आयु छूट को स्पष्ट करने की मांग उठ सकती है। इससे पहले भी कई भर्ती प्रक्रियाओं में ऐसे प्रावधानों को लेकर विवाद हुआ है, लेकिन हाईकोर्ट के इस फैसले से आने वाले समय में एससी-एसटी उम्मीदवारों को समान अवसर मिलने की संभावना बढ़ गई है।
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